सिवनी भाजपा में काँहीवाड़ा मंडल अध्यक्ष की नियुक्ति पर उठे सवाल, कार्यकर्ताओं में नाराजगी

सिवनी

भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व द्वारा सिवनी जिले के मंडलो मे हाल ही में की गई संगठनात्मक नियुक्तियों ने आंतरिक असंतोष को जन्म दे दिया है। काँहीवाड़ा मंडल अध्यक्ष पद पर इंद्रकुमार जंघेला की नियुक्ति को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है। जंघेला पूर्व में मंडल महामंत्री के पद पर कार्यरत रहे हैं।

हालांकि यह नियुक्ति पार्टी की आंतरिक प्रक्रिया के तहत की गई है, लेकिन कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इंद्रकुमार जंघेला के विरुद्ध पूर्व में कई गंभीर आरोप लगे हैं, जिनमें पद के दुरुपयोग से लेकर पार्टी की गरिमा को ठेस पहुँचाने तक के मामले शामिल हैं।

विवादों में घिरे रहे हैं नए अध्यक्ष

स्थानीय स्तर पर सक्रिय भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि जंघेला पर निवर्तमान मंडल अध्यक्ष के साथ मिलकर सहकारी समितियों के प्रबंधकों को धमकाने, पंचायत सचिवों से स्थानांतरण के नाम पर अवैध वसूली करने और संगठन की नीतियों के विरुद्ध कार्य करने जैसे गंभीर आरोप हैं। इन घटनाओं ने न केवल संगठन की छवि को नुकसान पहुँचाया है, बल्कि जमीनी कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी प्रभावित किया है।

निष्ठावान कार्यकर्ताओं में रोष

पार्टी के कई वरिष्ठ व सक्रिय कार्यकर्ताओं का मानना है कि इस तरह के विवादास्पद व्यक्ति को महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त करना, उन समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय है, जो वर्षों से निःस्वार्थ भाव से संगठन के लिए काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी के “पारदर्शिता और संगठनात्मक शुचिता” जैसे मूल सिद्धांतों की अनदेखी की जा रही है।

नेतृत्व की चुप्पी से असंतोष गहरा रहा

अब तक भाजपा सिवनी जिला इकाई या प्रदेश नेतृत्व की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। कार्यकर्ताओं की मांग है कि पार्टी शीर्ष नेतृत्व को इस नियुक्ति पर पुनर्विचार करते हुए जांच-पड़ताल कर स्पष्ट स्थिति रखनी चाहिए, अन्यथा यह असंतोष आने वाले चुनावों में संगठन के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

भविष्य पर पड़ सकता है असर

स्थानीय कार्यकर्ताओं का स्पष्ट कहना है कि यदि ऐसे व्यक्तियों को संगठनात्मक जिम्मेदारियाँ सौंपी जाती रहीं, जिनका अतीत विवादों से जुड़ा हो, तो इससे पार्टी की साख व लोकप्रियता को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है। उनका यह भी मानना है कि काँहीवाड़ा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में संगठन को मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता है, न कि ऐसा नेतृत्व जो स्वयं ही विवादों में घिरा हो।।

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