ब्लैकलिस्टेड समितियों को उपार्जन केंद्र देने से किसको फायदा
अधिकारीयों की कार्य प्रणाली पर सवाल या निशान
सिवनी
सरकार किसानों की फसल खरीदी के लिए उपार्जन केंद्रों को खोला है सरकार की मंशा उपार्जन की मदद से किसानों का सहयोग करना है। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में उपार्जन नीति के उल्लंघन का बड़ा घोटाला सामने आया है जंहा अधिकारियों और समितियों की जगलबन्धी के कारण ब्लैक विजेट समितियां को उपार्जन केंद्र आवंटित कर दिया गया है।

जिले में 38 ब्लैकलिस्ट समितियां को उपार्जन केंद्र की जिम्मेदारी दी गई है इन 38 ब्लैकलिस्टेड समितियो से सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई आज तक इन समितियो नहीं की है सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने के बाद भी कुछ अधिकारी अपने निजी फायदे के लिए सांठगांठ बेईमान समितियां को गेहूं खरीदने की जिम्मेदारी दे दी है ।
उपार्जन केंद्र को लेकर अधिकारियों ने जिले के कलेक्टर को भी सही जानकारी नहीं दी यह अधिकारी अपने फायदे के लिए जिले कलेक्टर को सही-सही जानकारी नहीं देते हैं और उन्हें गुमराह करते रहते हैं इस मामले में जिला कलेक्टर को अंधेरे में रखकर सरकार की नीतियों का उल्लंघन कर सभी नियमों को दरकिनार कर अधिकारियों ने अपनी मनमानी की है।
यह है पूरा मामला
सरकार की उपार्जन को लेकर स्पष्ट नीति के अनुसार केवल उन्हीं समिटिंयों को उपार्जन केंद्र का संचालन सौंपा जा सकता है जो समिति अपना काम ईमानदारी से करें जिन पर कोई भी वित्तीय देनदारी नहीं हो और समिति के ऊपर अपनी बकर राशि का को भी लेनदेन बाकी ना हो इसके अलावा ऐसी समितियो को अतिरिक्त रूप से 50% की राशि FD के रूप में जमा करनी होती है। परंतु अधिकारियों ने इस नियम को ताकपर रखकर ब्लैकलिस्ट समितियां को उपार्जन केंद्र की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे दिए है।
जिला कलेक्टर पर सवाल या निशान
जिले की कलेक्टर संस्कृति जैन अपनी ईमानदारी के लिए जानी जाती है बताया जाता है कि ब्लैकलिस्टेड समितियों की जानकारी उन्हें दी ही नही गई । इस पूरे घटनाक्रम से वो अनजान रही है या उन्हें गुमराह किया गया है यह एक बड़ा सवाल है। आरोप है कि जिला आपूर्ति अधिकारी (DSO) मनोज पुराविया, डीएमओ परतेती और डीआर घनश्याम डेहरिया इस गड़बड़ी में शामिल हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिला आपूर्ति अधिकारी मनोज पूराविया डीएमओ परतेती और डी आर घनश्याम डेहरिया उपार्जन नीतियों की धज्जियां अधिकारी है ब्लैकलिस्टेड समितियों को उपार्जन केंद्र आवंटित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है सरकार की नीति को पाटिल लगाने में इन अधिकारियों ने कोई भी कसर नहीं छोड़ी है अब आगे देखना यह है यह ब्लैकलिस्टेड समितियां क्या गुल खिलाती है इन समितियां के द्वारा भ्रष्टाचार किया गया तो इसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा जो सरकार की नीतियों के खिलाफ है।
सरकार की नीतियों के खिलाफ जाकर ब्लैकलिस्टेड समितियों को उपार्जन केंद्र देने के मामले में जिला कलेक्टर क्या कार्रवाई करती हैं क्या मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच होंगी। अधिकारियों पर लग रहे आरोपों की पुष्टि कर पाएंगे पूरे मामले में उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हो जाएगी तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
उपार्जन नीति
1. उपार्जन नीति के अनुसार केवल उन्हीं समितियों को उपार्जन केंद्र मिल सकता है जिनकी वित्तीय स्थिति मजबूत हो ।
2. जिन-जिन समितियों पर बकाया राशि है उन्हें 100% भुगतान करना होगा और अतिरिक्त 50% FD के रूप में जमा करना अनिवार्य होता है।
3. समितियों की दो खरीफ और दो रबी का सीजन में अच्छा प्रदर्शन करने वाली समितियों को ही प्राथमिकता होती है
4. किसी भी तरह की वित्तीय अनियमित पाए जाने पर समिति को ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।
खबर प्रशासन के बाद देखना होगा कि ब्लैकलिस्टेड समितियां को उपार्जन केंद्र देने के मामले में जिला प्रशासन इस गंभीर मामले पर क्या कार्रवाई करता है और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध क्या कदम उठाए जाते हैं ।।