डॉ राजेंद्र प्रसाद अद्वितीय प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बनने वाले वह प्रथम प्रथम व्यक्ति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद थे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई और भारतीय संविधान निर्माण में भी अपना विशेष योगदान दिया था डॉ राजन प्रसाद की परिणति 26 जनवरी 1950 को भारत के एक गणतंत्र के रूप में हुई थी 3 दिसंबर अट्ठारह सौ चौरासी को बिहार के जीरादेई इलाके में डॉ राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था उनके पिताजी महादेव सहाय संस्कृत व फारसी के विद्वान थे और माता कमलेश्वरी देवी एक धर्म परायण महिला थी।।

राजन बाबू 5 वर्ष की उम्र में ही भारतीय सीखने लगे थे इन्होंने छपरा में अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद कोलकाता सेल लॉ कॉलेज के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की थी इनका व्यवहार 13 वर्ष उम्र में राजवंशी देवी से हुआ भारतीय स्वतंत्र आंदोलन में उनका पदार्पण वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत करते ही हो गया था सन 1934 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुंबई अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए थे इसके बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस के अध्यक्ष पद से त्याग देने पर कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार उन्होंने एक बार पुनः 1939 में संभाला था ।।

26 जनवरी सन 1950 को संविधान लागू होने के साथ ही वे आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में चुने गए उनका कार्यकाल 14 मई 1962 तक रहा सन् 1962 में अवकाश प्राप्त करने पर उन्हें भारत रत्न की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित किया गया था पटना के पास स्थित सदाकत आश्रम में उन्होंने अपना अंतिम समय बताया था 18 फरवरी 1963 को उनकी आत्मा ब्रह्मलीन हो गई ।।

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