विभागीय तबादले के बावजूद अधिकारी नहीं दे रहे रिलीफ

नेताओं की सिफारिशों पर अड़े अफसर, पुराने सेटलमेंट का दौर जारी

जनता त्रस्त, प्रशासन मौन, नेता तमाशबीन

सिवनी

सिवनी जिले में प्रशासनिक तबादलों के आदेश महज कागजों में सीमित होकर रह गए हैं। मध्य प्रदेश शासन द्वारा हाल ही में किए गए विभागीय स्थानांतरण के बाद भी सिवनी जिले के कई कर्मचारी अपने पुराने पदस्थापना स्थल पर जमे हुए हैं। प्रशासनिक लचरता और राजनीतिक संरक्षण का ऐसा उदाहरण दुर्लभ ही देखने को मिलता है।

तबादले के बाद भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं

कलेक्टर कार्यालय सिवनी से दिनांक 15 जून 2025 को स्थानांतरण आदेश जारी हुआ, मगर उसके बावजूद संबंधित अधिकारी-कर्मचारी आज तक कार्यमुक्त नहीं किए जा सके हैं। सवाल यह उठता है कि आखिर इन कर्मचारियों को रिलीव करने में अधिकारी क्यों हिचक रहे हैं? इसका जवाब जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।

सेटलमेंट का चल रहा खेल

विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक तबादले के बावजूद इन कर्मचारियों द्वारा पुराने कार्यकाल के मामलों का सेटलमेंट किया जा रहा है। विभागीय फाइलों में पुराने हिसाब-किताब निपटाए जा रहे हैं। जिस प्रशासनिक सतर्कता की बात सरकार करती है, वह सिवनी में नजर नहीं आती।

नेताओं का संरक्षण, अफसरों की मेहरबानी

सिवनी जिले के कई रसूखदार नेता इन कर्मचारियों को बचाने में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। कहीं विधायक तो, कहीं प्रभावशाली लोग भोपाल तक दौड़ लगा रहे हैं। अफसरों पर दबाव बनाया जा रहा है कि चहेते कर्मचारियों को जल्दबाजी में कार्यमुक्त न किया जाए। यही वजह है कि तबादला आदेश के बाद भी “कुर्सी मोह” खत्म नहीं हो रहा।

दागदार कर्मचारियों का बोलबाला

जिन कर्मचारियों का तबादला हुआ है, उन पर पहले से ही जनता को परेशान करने, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगते रहे हैं। कई बार ये अखबारों की सुर्खियों में भी रहे हैं। इसके बावजूद ये आराम से पुराने पदों पर विराजमान हैं और जनता इनके कुर्सी प्रेम से त्रस्त है।

प्रशासनिक विफलता पर उठते सवाल

सवाल है कि क्या जिला प्रशासन खुद भी इन रसूखदारों के दबाव में है? क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति महज भाषणों तक सीमित है? अगर सख्ती नहीं हुई तो आने वाले समय में यह पूरी व्यवस्था पर बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो सकता है।

सिवनी में दागी अधिकारी व कर्मचारी बेखौफ

सिवनी जिले का हाल यह है कि यहां दागी अधिकारी व कर्मचारी बेखौफ नौकरी करते रहते हैं और नेता अपनी नेतागिरी चमकाने में लगे रहते हैं। यदि समय रहते इन मामलों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो यह पूरे प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करेगा ।।

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