अदभुत मेघनाद मेला आस्था, परंपरा और संस्कृति का अद्भुत संगम है

सिवनी जिला मध्य प्रदेश का वह जिला है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य, परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है सिवनी के आदिवासी समाज में एक अनोखी परंपरा प्रचलित है जो पूरे एशिया में अपनी अलग पहचान बनाए हुए मेघनाथ मेला है

आदिवासियों का आस्था का प्रतीक ‘मेघनाद मेला’

जिले के मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर केवलारी विकासखंड के ग्राम पांजरा में परम्परागत होलिका दहन के दूसरे दिन यानी धुरेडी के दिन पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है इसमें लिखी सबसे खासियत यह है कि यहां के आदिवासी समुदाय द्वारा इस मेले में रावण के पुत्र मेघनाद को अपना आराध्य मानकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है और परंपरा के अनुसार बताया जाता है कि इस मेले में मन्नत भी मानी जाती है जो पूर्ण होने पर मेले में पूजा अर्चना कर मेघनाद को याद किया जाता है ।

60 फीट ऊंचा ‘आस्था का स्तम्ब

मेघनाद मेले में विशेष परंपराओं का पालन किया जाता है आपको बता देते हैं कि यहां पर कोई प्रतिमा स्थापित नहीं होती बल्कि मेघनाद की उपासना का प्रतीक स्वरूप 60 फीट ऊंचा एक खंभा होता है जिस खंबे पर चढ़ने के लिए लकड़ी की खुटिया लगाई जाती है खंभे के ऊपर एक मचान बनाई जाती है इस मचान पर तीन से चार व्यक्तियों की बैठने की व्यवस्था होती है।

मनोकामना पूर्ण होने पर अनोखा अनुष्ठान

मेले में मनोकामना पूर्ण होने पर एक अनोखा अनुष्ठान किया जाता है यह मेले का सबसे अनोखा और रोमांचक्कारी दृश्य होता है जिसमें मनोकामना पूर्ण होने पर महिला पुरुष उसे 60 फीट ऊंचे खंभे पर चढ़कर अपने पेट के बाल राशियों के सहारे लेटाए जाते हैं मन्नत पूरी हो जाने के बाद पुरुष या महिला को रस्सी से बांधकर लकड़ी में लटका दिया जाता है जिसे रस्सी से चारों ओर घूमने वाली लकड़ी से रस्सी के सहारे बांधकर घुमाया जाता है इस दौरान श्रद्धालु हक्कड़े बिर्रे’ के जयघोष के साथ वातावरण को गुंजायमान करते हैं, यह दृश्य देखकर मेले में आए हुए श्रद्धालु रोमांचित होते हैं यात्रा दुनिया में और कहीं नहीं देखने को मिलता है ।

आदिवासी संस्कृति का हिस्सा

जिले का मेघनाद मेला एक अनोखा मेला है जिसमें जिले के अलावा आसपास के हजारों आदिवासी समुदाय के लोग आते हैं यह आयोजन सिर्फ आदिवासी संस्कृति का हिस्सा नहीं बल्कि इसमें अन्य धर्म के और समुदाय के लोग भी शामिल होते हैं यह मेला परंपरा संस्कृति का अद्भुत संगम है जिससे यह आयोजन सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक बन चुका है

मेघनाद मेला एशिया का सबसे बड़ा मेला

स्थानी निवासियों का दावा है कि यह महिला एशिया का सबसे बड़ा मेघनाथ मिला है इस मेले में आशीर्वाद स्वरूप आदिवासी समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखे हुए हैं और परंपरा और आस्था को अपनी पीढ़ी दर पीढ़ी चलाता आ रहा है

सिवनी जिले का मेघनाथ मेल एक अद्भुत मिला है जो हमें भारतीय संस्कृति के उसे पहलू से परिचित कराता है जहां आस्था और परंपरा गहराई से जनमानस में रचि और बसी हुई है मेघनाद मेला धार्मिक भावनाओं को केवल मजबूत नहीं करता बल्कि सामुदायिक एक जड़ता और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का भी बेहतरीन उदाहरण है ।।

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