शहडोल में कोदो का कहर: आदिवासी समुदाय के स्वास्थ्य पर संकट

शहडोल

मध्य प्रदेश – पोषण और सेहत के लिए लाभकारी माने जाने वाले मोटे अनाज कोदो ने शहडोल और उसके आस-पास के आदिवासी बहुल इलाकों में चिंता का कारण बन गया है। कोदो की रोटी और चने का साग खाने से कई ग्रामीणों की तबीयत बिगड़ गई है। इस मामले ने न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे राज्य को हिला दिया है।

घटनाओं की कड़ी

शहडोल के चाका गांव और खम्हरिया पंचायत के ददरा टोला में हाल ही में दर्जनभर से अधिक ग्रामीण कोदो की रोटी और चने का साग खाने के बाद बीमार हो गए। उन्हें उल्टी, चक्कर और मिचली की शिकायत होने लगी। गंभीर हालत में इन सभी को शहडोल जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।

चाका गांव के रामचरण कोरी और उनके परिवार के छह अन्य सदस्य बीमार पड़े, वहीं खम्हरिया पंचायत में राजेंद्र सिंह मरावी के परिवार के चार सदस्यों को भी अस्पताल ले जाया गया।

कोदो का असर: हाल ही में हुई हाथियों की मौत

यह पहली बार नहीं है जब कोदो के सेवन को लेकर सवाल उठे हैं। उमरिया जिले में कुछ दिनों पहले 10 हाथियों की मौत का मामला भी कोदो के सेवन से जुड़ा पाया गया था। इस घटना ने कोदो को लेकर पहले ही चिंताएं बढ़ा दी थीं, और अब ग्रामीणों के बीमार होने से यह मुद्दा और गंभीर हो गया है।

कोदो: पोषण से स्वास्थ्य संकट तक

कोदो एक मोटा अनाज है जिसे मिलेट के रूप में जाना जाता है। यह ग्लूटेन-फ्री, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर है, और आयुर्वेद में इसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना गया है। वजन घटाने और शुगर कंट्रोल के लिए इसे आदर्श आहार माना जाता है।

हालांकि, शहडोल के हालिया मामलों में कोदो के संभावित दूषित या गलत तरीके से तैयार किए जाने की संभावना सामने आई है। जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार, “जांच जारी है, और अभी यह कहना मुश्किल है कि समस्या कोदो में किस कारण से हुई।”

सरकार की योजना और ज़मीनी सच्चाई

केंद्र और राज्य सरकारें मोटे अनाज जैसे कोदो को बढ़ावा दे रही हैं। लेकिन, शहडोल जैसे आदिवासी इलाकों में इन अनाजों के सही उत्पादन, संग्रहण और उपयोग की निगरानी का अभाव है।

ग्रामीणों का कहना है कि कोदो उनका पारंपरिक भोजन है, और उन्होंने इससे पहले कभी ऐसी समस्या का सामना नहीं किया। यह सवाल उठता है कि हालिया घटनाओं का कारण क्या है – खेती में इस्तेमाल किए गए रसायन, कोदो का दूषित भंडारण, या कुछ और?

स्थानीय प्रशासन और चिकित्सा सेवाओं की चुनौती

जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों का इलाज जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाएं पर्याप्त नहीं हैं। शहडोल और आसपास के इलाकों में स्वास्थ्य विभाग को त्वरित कार्रवाई करनी होगी। साथ ही, दूषित भोजन की संभावित वजहों की गहन जांच जरूरी है।

निष्कर्ष

शहडोल में कोदो का कहर केवल स्वास्थ्य का मुद्दा नहीं, बल्कि ग्रामीणों के पारंपरिक भोजन और उनकी जीवनशैली से जुड़ा एक व्यापक सवाल बन गया है। कोदो के सेवन से जुड़ी घटनाओं ने इस मोटे अनाज पर पुनर्विचार की जरूरत को उजागर किया है।

सरकार और प्रशासन को इन घटनाओं के कारणों की पहचान कर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि कोदो जैसे पोषक अनाज पर से विश्वास न उठे और ग्रामीणों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सके।

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