सिवनी: प्रभारी मुख्य अभियंता अशोक डेहरिया को हटाने में असफल है भाजपा के विधायक दिनेश राय मुनमुन और विपक्ष कांग्रेस के विधायक ठाकुर रजनीश सिंह सत्ता और विपक्ष, विधायक है नाराज़

सिवनी

जिले में जलसंसाधन विभाग के प्रभारी मुख्य अभियंता अशोक डेहरिया का मुद्दा गरमा गया है। भाजपा के सत्ता पक्ष के विधायक दिनेश राय “मुनमुन” और कांग्रेस के विपक्षी विधायक रजनीश सिंह, दोनों ही अशोक डेहरिया को हटाने की मांग कर रहे हैं। बावजूद इसके, डेहरिया अभी भी अपने पद पर बने हुए हैं।

विधायकों की नाराजगी का कारण

अशोक डेहरिया, जो मूल रूप से कार्यपालन यंत्री के पद पर हैं, लंबे समय से प्रभारी मुख्य अभियंता के रूप में कार्य कर रहे हैं। दोनों विधायकों का आरोप है कि डेहरिया की कार्यशैली में लापरवाही और विकास कार्यों में बाधा उनके पद पर बने रहने का मुख्य कारण है। सत्ता और विपक्ष के विधायक यह दावा कर रहे हैं कि विभागीय कामों में देरी और भ्रष्टाचार की शिकायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

सत्ता पक्ष भी असहाय

भाजपा विधायक दिनेश राय “मुनमुन” का कहना है कि उन्होंने कई बार शासन और विभाग को डेहरिया के खिलाफ शिकायतें दी हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति सत्ता पक्ष की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करती है।

विपक्ष का हमला

कांग्रेस विधायक रजनीश हरवंश सिंह का कहना है कि अशोक डेहरिया का जलसंसाधन विभाग में बने रहना जनता के हितों के खिलाफ है। उन्होंने इसे प्रशासनिक उदासीनता करार दिया और कहा कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो वे सड़क पर आंदोलन करेंगे।

प्रशासन की चुप्पी

हालांकि, जिला प्रशासन और जलसंसाधन विभाग ने अब तक इस मामले में कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे स्थिति और अधिक जटिल हो गई है, और विधायकों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

क्या है आगे की राह?

इस मामले में सत्ता और विपक्ष के एकमत होने के बावजूद कार्रवाई न होना प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। जनता भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है कि अशोक डेहरिया को हटाने की मांग पूरी होगी या फिर यह राजनीतिक और प्रशासनिक खींचतान का हिस्सा बनकर रह जाएगी।

आगे यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में शासन और जलसंसाधन विभाग क्या कदम उठाते हैं और अशोक डेहरिया पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।

प्रदेश सरकार अब अशोक डहेरिया मामले में
क्या कार्रवाई करती है देखना है क्योंकि 16 दिसंबर से विधानसभा का सत्र चालू होने वाला है और यह मामला विधानसभा के में जरूर रखा जाएगा अब भाजपा की मोहन सरकार के ही ऊपर है कि वह अधिकारियों का पक्ष लेते हैं या अपने सत्ताधारी विधायको का ।।

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