जर्जर भवन हादसे से जागा प्रशासन, एक दिन में 10 भवन चिन्हित
पहले हुए थे 24 भवन चिन्हित, 14 को दिया जा चुका है नोटिस
शहर के सरकारी भवन भी है जर्जर

मंडला
बरसात अपने शबाव पर है, मध्यप्रदेश में इस वर्ष अच्छी बारिश हुई। बारिश के कारण कई क्षेत्रों का संपर्क भी आपस में टूट गया, लोग परेशान भी हुए, वहीं इसी बीच विगत दिवस मध्यप्रदेश के रीवा और सागर जिले में जर्जर भवन और दीवार गिरने से करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को की जान चली गई। जिसके बाद मंडला जिला प्रशासन भी सर्तक हो गया और मंडला नगरपालिका क्षेत्र में जर्जर भवनों की खोजबीन शुरू कर दी गई।
जानकारी अनुसार जिला मुख्यालय में भी दर्जनों जर्जर भवन स्थित है, वहीं मुख्य मार्ग किनारे भी कई जर्जर भवन खड़े है, जहां आवाजाही और लोगों की भीड़ बनी रहती है, बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन इसे नजर अंदाज करते आ रहा है। मध्यप्रदेश के अन्य जिले में हादसा होने के बाद मंडला जिले का स्थानीय प्रशासन की नींद खुली और आवासीय क्षेत्रों के जर्जर मकानों को गिराने की कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए गए। इसके साथ ही क्षतिग्रस्त एवं जर्जर मकानों के पास सूचना चस्पा करने के निर्देश दिए गए।

बता दे कि बारिश के सीजन में जर्जर भवनों, मकानों के गिरने की ज्यादा संभावना रहती है, जिससे बड़ी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। जिला मुख्यालय में भी दर्जनों जर्जर भवन स्थित है, लेकिन इन जर्जर भवनों की जानकारी स्थानीय प्रशासन ने पहले नहीं जुटाई। रीवा व सागर की घटना के बाद जर्जर भवनों की जानकारी लेना शुरू कर दी गई है। बताया गया कि सोमवार को मंडला नगरपालिका की टीम ने शहर के 10 भवनों को चिन्हित किया है। इसके साथ ही अभी और भवन चिन्हित किए जाएंगे। इन जर्जर भवन स्वामी को नोटिस भी दिया जाएगा। शहर में जो अधिक जर्जर भवन है, उन जर्जर भवनों को संभावित गिराया भी जा सकता है।
बताया गया कि पूर्व में भी शहर में जर्जर भवनों का सर्वे कराया गया और 14 मकान चिन्हित किए गए। जिनके मालिकों को नोटिस भी दिए गए लेकिन जर्जर भवन धीरे धीरे और जर्जर हो गए, जो कभी भी किसी भी समय ढह सकते है। लोगों का कहना है कि जर्जर भवन अचानक से धराशाही हुए तो मंडला शहर में भी रीवा और सागर जैसी घटना घटित हो सकती है। शायद जिला प्रशासन इसी घटना के इंतजार में कार्रवाई के निर्देश देने के साथ सूचना चस्पा कराने के निर्देश दिए है। लेकिन प्रशासन को निर्देश देने के बजाए ऐसे भवनों को तत्काल गिराने की कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे आगामी समय में कोई घटना घटित ना हो सके।
बता दे कि जर्जन भवनों को चिन्हित करने के लिए इस वर्ष बारिश के पहले भी किसी तरह की प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। यह कार्य हर साल मई-जून के दिनों में ही पूरा कर लिया जाता है और कई भवनों को पहले ही गिराया जाता रहा है। कुछ भवन जो बारिश होने के बाद जर्जर हालत में नजर आते हैं उनको भी डिस्मेंटल किया जाता है।
सरकारी भवनों की भी अनदेखी
मंडला जिला मुख्यालय में वर्षों पहले बनाए गए सरकारी भवन भी जर्जर हो चुके हैं। इनके भी गिराए जाने की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है, ना ही मरम्मत कराया जा रहा है। विभागीय तौर पर भी इनके लिए पत्राचार हुए हैं लेकिन अभी तक इन पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। इसके साथ ही एसपी कार्यालय के पीछे वन विभाग की कॉलोनी में भी जर्जर हाल में भवन है।
शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में जर्जर भवन
मंडला नगरपालिका ने पूर्व में चिन्हित कुछ भवनों को उपयोग न करने और उनसे दूरी बनाए रखने की सूचना भी चस्पा की गई थी। लेकिन इसका पालन किया जा रहा है कि नहीं इसकी सुध नहीं ली गई। सूचना चस्पा करने के बाद स्थानीय प्रशासन भी इन जर्जर भवनों को भूल गया। वहीं बस स्टैंड के नजदीक स्कूल के समीप भी एक ऐसा ही भवन खड़ा हुआ है। वैसे शहर के पुराने हिस्से के मोहल्लों में अधिक संख्या में जर्जर मकान हैं। जिसमें बुधवारी के आसपास, किला वार्ड, महाराजपुर संगम के समीप जहां पर पुराने भवन जर्जर हालत में हैं और लोग वहीं पर निवास भी कर रहे हैं। सराफा बाजार में भी ऐसे भवन देखे जा सकते हैं। ग्राम पंचायत बिझिंया में दुर्गा मंदिर के सामने भी जर्जर भवन है। भवन मालिक परिवार के साथ वर्षों पहले बाहर चले गए हैं। अब भवन धीरे-धीरे और अधिक क्षतिग्रस्त होते जा रहा है।
क्षतिग्रस्त भवनों में न लगाएं स्कूल, आंगनवाड़ी
कलेक्टर ने निर्देशित किया कि क्षतिग्रस्त भवनों में स्कूल, आंगनवाड़ी केन्द्र, कार्यालय आदि का संचालन न करें। उन्होंने कहा कि सहायक आयुक्त जनजाति कार्यविभाग, जिला शिक्षा अधिकारी, एसडीएम तथा जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जर्जर भवनों का चिन्हांकन करते हुए आवश्यक कार्यवाही करें। इसी प्रकार आवासीय क्षेत्रों के जर्जर मकानों को गिराने के संबंध में भी नियमानुसार कार्यवाही करें। क्षतिग्रस्त एवं जर्जर मकानों के पास सूचना लगाएं और लोगों को उनके नजदीक जाने से रोकें।
सागर जिले का ये था मामला
विगत 4 अगस्त को सागर जिले के शाहपुर कस्बे में मकान गिरने से 12 लोग दब गए थे। इस हादसे में 9 बच्चों की मौत हो गई है सभी मृतक एक ही परिवार के बताए गए हैं। बताया जाता है कि सभी 12 लोग पंडाल के नीचे बैठकर पार्थिव शिवलिंग बना रहे थे, तभी समीप का पुराना मकान भरभराकर गिर गया। मकान गिरने से सभी लोग नीचे दब गए। हादसे की खबर लगते ही जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से दबे लोगों को बाहर निकाला गया। तब तक 9 बच्चों की सांसे थम गई थी। गंभीर रूप घायल लोगों को तत्काल अस्पताल भेजा गया।।