छात्राओं ने उपभोक्ता दिवस पर संगोष्ठी में रखे अपने विचार

सिवनी
किसी भी वस्तु की कीमत उसके गुणों के साथ-साथ उसकी शुद्ध मात्रा से आंकी जाती है। यदि आप वस्तु को कम मात्रा में पाते है तो आपके द्वारा चुकाया गया मूल्य वस्तु के निर्धारित मूल्य से अधिक होता है। उक्त उद्गार कन्या महाविद्यालय में आयोजित विश्व उपभोक्ता दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में डॉ.अर्चना चंदेल ने व्यक्त किये। इस अवसर पर प्राचार्य अमिता पटेल ने भी छात्राओं को मार्गदर्शन दिया।

छात्रा संगीता चौरसिया ने कहा कि यदि नापतौल उपकरण सही नही हो, अथवा उन्हें सही तरीके से उपयोग ना किया जावे तो वस्तुओं के मूल्य निर्धारण का कोई औचित्य नही रह जाता। अक्सर कुटिल व्यापारी हाथ की सफाई से की जाने वाली हानि से उपभोक्ता शतर्क होने से ही बच सकता है ।।
प्रिया सहारे ने कहा कि तरल पदार्थ खरीदते समय देखें की मापक उपकरण नीचे से या आजू-बाजू से पिचका हुआ तो नही है। या माप की डंडी तो नही टूटी है। स्मिता बघेल ने कहा कि उपभोक्ता नियम कपड़ा,तार या अन्य वस्तु खरीदते समय देखे की मीटर के दोनो सीरों पर तीर के निशान है,मीटर हाथ से दबाकर आंड़ा-तीरछा या कम तो नही किया गया। वैशाली सूर्यवंशी ने कहा कि रद्दी या अन्य वस्तु बेचते समय ध्यान रखे की लकड़ी की तराजू से ना बेंचे। तराजू में मध्य में सेंटर नाईफ-एज,फंस तो नही रहा है ।।
कार्यक्रम के दौरान साक्षी चौरसिया,संध्या अहाके,प्रज्ञा बघेल,याशिका गढ़ेवाल,रेणुका रजक,रश्मि धुर्वे,पिंकी सनोडिय़ा, आकांक्षा ठाकुर, श्रेया बरोदिया,मौसम पटले,पालिका बिसेन,निकिता वर्मा,गायत्री डहेरिया,शिवानी डहेरिया,पल्लवी वैद्य,नीतू डहेरिया,रश्मि वर्मा, शिवाली सोनी,प्रिंयाशु बोपचे, दीपकुमारी बरमैया,मधु बांगरे,संगीता इनवाती,टीनू राहंगडाले,मुस्कान खान, दीपशिखा पटले आदि शामिल थी ।।