एनएसएस में मिलता है सिखने को अनुशासन एवं नैतिकता:किरण

सिवनी
जब हम शाला में अध्ययन करते है तो हमें परिवार के लोग सारी सुविधायें उपलब्ध कराते है,हमें सुलभता से भोजन मिल जाता है,पहनने को कपड़े मिल जाते है। लेकिन हमें यह भी आभास नही होता कि जो भोजन हम कर रहे है,उसे उपलब्ध कराने के लिए अथवा कपड़े उपलब्ध कराने के लिए परिवार के लोगों को कितना संघर्ष करना पड़ता है।

इसी बात को युवाओं एवं विद्यार्थियों को अवगत कराने के लिए प्रतिवर्ष राष्ट्रीय सेवा योजना का शिविर ग्रामीण क्षेत्रों में लगाया जाता है। जिसका उद्देश्य शहरों में अध्यापन करने वाले विद्यार्थी ग्रामीण परिवेश अथवा आपदा के दौरान किस तरह से भरण-पोषण कर सकते है, इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। उक्ताशय की बात मिशन बालक हॉयर सेकेंडरी शाला सिवनी में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर के समापन अवसर पर पूर्व प्राचार्य अजय प्रभाकर ढबले ने व्यक्त किये।।

इस अवसर पर प्राचार्य श्रीमती किरण जेम्स ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की इच्छा थी कि लोग दूसरों की सेवा से जुड़े और युवाओं में यह प्रवत्ति आये,इसी उद्देश्य से उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना की थी। निश्चित ही बच्चों ने इस शिविर में जहां जातिगत भेदभाव को दूर किया है, वहीं दूसरी ओर हम देश के लिए एवं गांव के विकास के लिए क्या योगदान दे सकते है,जिसको लेकर कार्य किया। चूंकि कोरोनाकाल चल रहा था, इसलिए शाला में ही इन 30 विद्यार्थियों ने शामिल होकर कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम के दौरान संजय जैन ने कहा कि एनएसएस में लगभग 30 वर्षो से जुड़े होने के दौरान उन्होंने इस संस्था से नैतिकता, अनुशासन एवं ग्रामीण समस्याओं के समाधान को लेकर बात को उच्चाधिकारियों तक पहुंचाकर उनके निराकरण के लिये कार्य करना साथ ही आंधी-तूफान अथवा बाढ़ आदि के दौरान युवाओं का योगदान को लेकर चर्चा की गई। साथ ही एनएसएस के प्रेरणास्प्रद गीत की प्रस्तुती दी। आयोजन के दौरान सीपी सोलंकी,आरवाय निगुडकर, डीके गठोरिया, अमीन खान,शैलेष नेथन सहित बच्चों ने इस कार्यक्रम के संबंध में अपने अनुभव बताये ।।