President of India श्री राम नाथ कोविंद ने जबलपुर में आयोजित ऑल इंडिया ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मध्‍य प्रदेश सहित पश्चिमी भारत की जीवन रेखा और जबलपुर को विशेष पहचान देने वाली पुण्य-सलिला नर्मदा की पावन धरती पर, आप सबके बीच आकर मुझे प्रसन्‍नता हो रही है।

शिक्षा, संगीत एवं कला को संरक्षण और सम्मान देने वाले जबलपुर को, आचार्य विनोबा भावे ने ‘संस्‍कारधानी’ कहकर सम्मान दिया और वर्ष 1956 में स्थापित, मध्‍य प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय की मुख्य न्यायपीठ ने जबलपुर को विशेष पहचान दी।

श्री कोविंद ने कहा कि हमारी lower judiciary, देश की न्यायिक व्यवस्था का आधारभूत अंग है। उसमें प्रवेश से पहले, सैद्धांतिक ज्ञान रखने वाले law students को कुशल एवं उत्कृष्ट न्यायाधीश के रूप में प्रशिक्षित करने का महत्वपूर्ण कार्य हमारी न्यायिक अकादमियां कर रही हैं अब जरूरत है कि देश की अदालतों, विशेष रूप से जिला अदालतों में लंबित मुकदमों को शीघ्रता से निपटाने के लिए न्यायाधीशों के साथ ही अन्य judicial एवं quasi-judicial अधिकारियों के प्रशिक्षण का दायरा बढ़ाया जाए।

मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं कि मुझे राज्य के तीनों अंगों अर्थात् विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका – से जुड़कर देश की सेवा करने का अवसर मिला। मुझे बहुत प्रसन्नता हुई जब मेरे विनम्र सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में कार्य करते हुए अपने निर्णयों का अनुवाद, नौ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया। मैं इस प्रयास से जुड़े सभी लोगों को बधाई देता हूं।

श्री कोविंद ने कहा कि मैं चाहता हूं कि सभी उच्च न्यायालय, अपने-अपने प्रदेश की अधिकृत भाषा में, जन-जीवन के महत्वपूर्ण पक्षों से जुड़े निर्णयों का प्रमाणित अनुवाद, सुप्रीम कोर्ट की भांति simultaneously उपलब्ध व प्रकाशित कराएं।

स्वाधीनता के बाद बनाए गए भारत के संविधान की उद्देशिका को हमारे संविधान की आत्‍मा समझा जाता है। इसमें चार आदर्शों- न्‍याय, स्‍वतंत्रता, अवसर की समानता और बंधुता- की प्राप्ति कराने का संकल्‍प व्‍यक्‍त किया गया है। इनमें भी ‘न्‍याय’ का उल्‍लेख सबसे पहले है।

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