मन घोड़े की तरह होता है:कविता चहल
मलेरिया से बचने के बहुत आसान है उपाय:ब्रजेश पटेल

सिवनी

मन घोड़े की तरह होता है,उसे लगाम लगाने की आवश्यकता पड़ती है। मनुष्य में बुद्धि नामक ऐसा तंत्र है जो शक्तिशाली होता है। व्यक्ति को एक लक्ष्य की ओर ले जाने के लिए लक्ष्य निर्धारित करता है। आपके लिए आगे बढऩे की वजह होती है,तो आपको उस कार्य में उत्साह नजर आता है। चाहे हम किसी नौकरी में जायें अथवा व्यापार के क्षेत्र में जब हमें लंबे समय तक अपने कार्य को करने के लिए मौका मिलता है तो हम अपनी शत-प्रतिशत ऊर्जा उस कार्य में लगा देते है। साथ ही जो कार्य कर रहे है वह कार्य हमारे लिए फायदेमंद होना चाहिए। उक्ताशय की बात शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिछुआ से स्व-रोजगार विषय पर व्याख्यान देने पहुंची श्रीमती कविता चहल ने मप्र विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा कन्या महाविद्यालय में आयोजित सेमीनार के दौरान छात्राओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये।

लाईफकोचर में भी हैं विकास के अवसर-

इस अवसर पर श्रीमती कविता चहल ने कहा कि अगर हम जो व्यवसाय कर रहे है,उसमें हमारे द्वारा बेची जानी वाली वस्तु का हमारे पास स्टाक हो,और बाजार में अधिक मांग हो तो निश्चित ही उसका लाभ हमें मिलता है। वर्तमान में हम स्व-रोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर तभी बन सकते है,जब हम अपने व्यवसायिक ब्रान्डिग और बिक्री को लेकर जागरूक होंगे। वर्तमान में नाबार्ड डेरी योजना अथवा ड्राईफूड के लिए हमे विदेशों पर आश्रित रहते थे। लेकिन अब हमारा देश स्वयं आत्मनिर्भर हो गया है। इसी तरह जीवन को लेकर लाईफकोचर जैसे विषय को लेकर भी अनेक अवसर मिल सकते है।

शासन रोगी तक पहुंचाता है मदद-

इसी तारतम्य में जिला चिकित्सालय डिण्डौरी के मलेरिया अधिकारी डॉ.ब्रजेश पटेल ने राष्ट्रीयवाहक जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैने छोटे से कस्बे से अपनी शिक्षा प्रारंभ की,और कभी भी हिम्मत नही हारा। जिसका परिणाम है कि मैं अपने लक्ष्य पर निरंतर अग्रसर हो रहा हूं। मलेरिया रोग होने से व्यक्ति कमजोर हो जाता है,और ऐसी स्थिति में लोगों को इस रोग से मुक्त कराने के लिए हमें यह जानना जरूरी है कि क्यूलेक्स नामक मच्छर से मलेरिया तथा एन्डीज नामक मच्छर से डेंगू,चिकनगुनिया,जीवा रोग तथा शेडफ्लाई से कालाजर रोग उत्पन्न होते है। क्यूलेक्स नामक मच्छर में मादा जाति अंडे देती है। जिसके कारण यह रोग फैलता है। इसी तरह इनका समय निर्धारित होता है। नर जाति के काटने से यह रोग नही होता। इसके लिए अनेक प्रकार के बचाव दिये गये है। जैसे ज्यादा दिनों तक बर्तन अथवा टंकी में पानी खुला ना रखा जाये। ग्रामीण अंचलों में इस रोग को रोकने के लिए मेडीटेशन मच्छरदानी तथा डीडीटी छिड़काव किया जाता है। यह रोग बारिश में अधिक होता है। जिससे बचने के लिए निरंतर प्रयास किये जाते है। इस अवसर पर प्राचार्य अमिता पटेल ने कहा कि स्व-रोजगार एवं मलेरिया रोग से बचने के लिए दिये जा रहे व्याख्यान को ना केवल सुने, बल्कि अपने जीवन में भी अपनायें,जिससे लोग लाभान्वित हों। इसी उद्देश्य से यहां पर यह व्याख्यान श्रंृखला चल रही है।
कार्यक्रम के शुभारंभ में डॉ.शेषराव नावंगे ने विषय को लेकर अपनी बात रखी,इसी तरह प्राध्यापक रूचिका यदु एवं अनिता कुल्हाड़े ने कार्यक्रम का संचालन किया। छात्राओं ने अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्रश्रों के माध्यम से किया। 

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