बरूओं ने किया अपनी कला का प्रदर्शन, बिठाला गया पीढ़ा
मंडला – नाग की तरह लहराते, फुफकारते भाव विभोर युवकों को देखकर सहज ही लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं। यह नजारा नाग पंचमी के अवसर पर मुख्यालय के नजदीकी ग्राम रामबाग और बिनैका में दिखाई देता है। सुरताल की लय में बरूआ नाग का भाव खेलते हैं। नागपंचमी की यह अनोखी पूजा पूरे क्षेत्र में खासी प्रसिद्ध है। नागपंचमी के अवसर पर ग्राम रामबाग, बिनैका में विशेष पूजन का दौर ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिला, जहां भक्तों ने पीढ़ा बिठालकर शिवशंकर के गलहार की पूजा की। पूजा से प्रसन्न होकर नागदेवता भाव रूप में भी दृष्टिगोचर हुए।

नागपंचमी पर विशेष आयोजन ग्राम बिनेका, रामबाग, सकवार, पुरवा सहित अनेक स्थानों में देखने को मिला। लोगों ने बताया कि बिनैका, रामबाग समेत अन्य ग्रामों में पटा बिठाला जाता है, जिसमें बरूआ अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। सर्वप्रथम बाजे गाजे के साथ ग्राम के लोग आस्तिक मुनि की पूजा करने जाते हैं। इसके बाद घर में पूजन पाठ का दौर चलता है। इस दौरान उस्ताद अपने बरूओं को भी तैयार करते हैं। यह ऐसा दिन होता है, जब नए बरूआ बनते हैं और पुराने अपनी कला दिखाते हैं। नाग भाव रूप में शरीर में आते हैं और अनेक तरह के चमत्कार भी दिखाते हैं। नागपूजा का यह क्रम बिनेका, रामबाग में पीढिय़ों से चला आ रहा है, जिसे देखने के लिए दूरदराज से भी भारी संख्या में लोगों का आना होता है।

क्या है पटा
बताया गया कि नाग पूजा के दौरान पटा में चावल, नारियल, पूजन की सामग्री एवं लाठी होती है। इन सब चीजों से मिलकर पटा बनता है। पटा बैठने के बाद ही नाग पूजा प्रारंभ होती है। मान्यता है कि जब तक विधिवत रूप से पटा नहीं बैठेगा, तब तक नागदेवता भक्तों के बीच नहीं आते। सही मायने में पटा ही नागपूजा की विशेषता है। मनोज ने बताया कि पूर्वज लोग नाग को अपना मित्र मानते थे क्योंकि नाग का भोजन चूहे है। नाग फसलों की चूहों से रक्षा करते है। पौराणिक कथाओं के अनुसार नाग को पताल लोक का निवासी कहा जाता है। नागों ने मनुष्यों के लिए पृथ्वी को छोड़कर पाताल लोग में रहना स्वीकार किया यह उनके त्याग का एक उदाहरण है। यही कारण है कि नाग को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है। नागपंचमी पर पूजन के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों पर भक्ति का इस कदर रंग चढ़ा कि वे अपनी सुध-बुध खो बैठे। ढोलक की थाप और मंजीरे की टन-टन के बीच अपने फन में धरती को थामे नाग देव की महिमा का गुणगान किया गया। इसके अलावा पुरवा, रामबाग, सकवाह में भी पटा बिठाकर नागदेवता की आराधना की गई।
जगह जगह पूजे गए नागदेव
श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के अवसर पर घर-घर नाग देवता की पूजा की गई और सभी ने नाग देवता से कृपा रखने की मान्यता मांगी, सुबह से ही डेयरियों सहित दुग्ध पार्लरों में कच्चे दूध लेने वालों की कतार लगी थी, नाग देवता को कच्चा दूध चढ़ाने की परम्परा है, पूजा के दौरान कच्चे दूध के अलावा, कच्चा नारियल भी चढ़ाया जाता है।
धूमधाम से घुघरी में मनाया नागपंचमी
घुघरी। विकासखंड घुघरी में सुबह से लोग शिवालय पहुंचे। सुबह से धार्मिक स्थलों में भक्तों का तांता लगा रहा। नागपंचमी के अवसर पर लोग शिवालयों में पूजन अर्चन करने पहुंच गए। अलग-अलग क्षेत्र में परंपरा अनुसार लोग पूजन अर्चन किए। घुघरी क्षेत्र में लोगों ने खेतो में जाकर नागदेव को दूध चढ़ाते हुए पूजन किया गया। इसके साथ ही प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी आस्तिक चौक घुघरी में नाग पंचमी के पावन अवसर पर युवाओं के द्वारा आस्तिक मुनि और नागदेवता की पूजा अर्चना की गई। इसके बाद पटा पूजन किया गया। क्षेत्र में धूमधाम से नागपंचमी पर्व मनाया गया।