जिला कार्यालय के आदेश को ठेंगा दिखा रहे प्राइवेट स्कूल संचालक, जिम्मेदार अधिकारी गोलमोल जवाबों में उलझे”
शिक्षा के मंदिरों में नियमों की धज्जियाँ, नर्मदा किड्स इंग्लिश स्कूल का मामला बना विभागीय लापरवाही का उदाहरण

सिवनी/धूमा
सिवनी जिले के लखनादौन जनपद अंतर्गत ग्राम धूमा में संचालित नर्मदा किड्स इंग्लिश स्कूल शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों और प्रशासनिक अनदेखी का उदाहरण बनता जा रहा है। इस स्कूल की मान्यता जिला शिक्षा अधिकारी (DPC) कार्यालय सिवनी द्वारा नियमों के उल्लंघन के चलते स्पष्ट आदेश के साथ समाप्त कर दी गई थी, इसके बावजूद स्कूल न केवल लगातार संचालित है बल्कि नए छात्र-छात्राओं के प्रवेश (एडमिशन) भी धड़ल्ले से कर रहा है।
शिकायतों से शुरू हुआ मामला, जिला कार्यालय ने माना सही
इस स्कूल के खिलाफ अनियमितताओं की शिकायतें न केवल लखनादौन बीआरसी कार्यालय, बल्कि जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से होते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचीं। शिकायतों की जांच करवाई गई, जिसमें स्कूल दोषी पाया गया और स्कूल की मान्यता निरस्त करने के आदेश जिला स्तर से जारी किए गए।
मान्यता समाप्त… लेकिन स्कूल संचालित, आदेशों की उड़ रही धज्जियाँ
शिक्षा विभाग के आदेशों की अनदेखी कर, नर्मदा किड्स इंग्लिश स्कूल के संचालक न केवल छात्रों की टीसी देने से इंकार कर रहे हैं, बल्कि नियमों को ताक पर रखकर नए एडमिशन भी कर रहे हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत और उदासीनता चरम पर है।
जबाबदारी से बचते अधिकारी, एक-दूसरे पर टालते जवाब
जब इस विषय में अधिकारियों से बात की गई तो बीआरसी श्रीराम पटले ने जवाब देते हुए कहा:
*>* “पूरा मामला डीपीसी साहब के अंडर में है, हमारे स्तर पर नहीं है…”
वहीं डीपीसी सिवनी महेश बघेल ने प्रतिक्रिया दी:
*>* “मैं बीआरसी लखनादौन से पूछकर बताता हूं…”
इन जवाबों से साफ है कि दोनों अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर मामले को उलझा रहे हैं, जबकि स्कूल संचालक आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं।
पूर्व में भी लापरवाही पर नोटिस, लेकिन कोई असर नहीं
गौरतलब है कि बीआरसी श्रीराम पटले को विभागीय लापरवाही के लिए पहले भी नोटिस जारी हो चुके हैं, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। नतीजा यह है कि शिक्षा का उद्देश्य अब ज्ञान नहीं, बल्कि व्यापार बनकर रह गया है।
कलेक्टर संस्कृति जैन की सख्ती के बावजूद नजरअंदाज हो रहा आदेश
सूत्रों की मानें तो जिला कलेक्टर सुश्री संस्कृति जैन ने भी डीपीसी महेश बघेल को इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस बनी हुई है। कलेक्टर के निर्देशों का पालन ना करना भी गंभीर प्रशासनिक लापरवाही की श्रेणी में आता है।
जनता के प्रश्न
1. यदि स्कूल की मान्यता समाप्त की जा चुकी है, तो नए एडमिशन किस अधिकार से लिए जा रहे हैं?
2. क्या कलेक्टर के समक्ष अपील लंबित रहने का मतलब यह है कि स्कूल संचालित किया जा सकता है?
यदि ऐसा है तो फिर मान्यता समाप्ति का आदेश किस उद्देश्य से जारी किया गया?
संरक्षण या मिलीभगत
यह संदेह गहराता जा रहा है कि बीआरसी स्तर पर स्कूल को संरक्षण मिल रहा है। यदि ऐसा नहीं है, तो फिर विभाग चुप क्यों है?
धूमा स्थित नर्मदा किड्स इंग्लिश स्कूल का यह मामला ना सिर्फ नियमों की अनदेखी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी और गोलमोल रवैया शिक्षा व्यवस्था को खोखला कर रहा है। यदि समय रहते प्रशासन ने सख्त कार्यवाही नहीं की, तो ऐसे मामले आने वाले समय में और भी बढ़ सकते हैं और शिक्षा के नाम पर व्यवसाय और धोखाधड़ी का यह खेल जारी रहेगा।