महिला अत्याचार और भ्रष्टाचार की कहानी: आदेगांव थाना प्रभारी पूजा चौकसे पर गंभीर आरोप

सिवनी
जिले के आदिवासी बाहुल्य लखनादौन क्षेत्र के आदेगांव थाने से एक बार फिर चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां की थाना प्रभारी पूजा चौकसे पर महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार, भ्रष्टाचार, और तानाशाही के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। पीड़ित महिलाएं न्याय की गुहार लगाते-लगाते थाने के बाहर आंसुओं के सिवा कुछ नहीं पातीं।
महिला पीड़िता का दर्द
हाल ही में विनीता चौकसे नामक महिला अपने ससुराल वालों द्वारा शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से परेशान होकर थाने पहुंची। आरोप है कि घंटों दर्द से बिलखने के बावजूद थाना प्रभारी ने कोई मदद नहीं की। न केवल उनके आरोपों को नजरअंदाज किया गया, बल्कि मामला दर्ज करने से भी इंकार कर दिया गया। विनीता ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, लेकिन थाने में कथित रूप से पैसे वालों का प्रभाव अधिक प्रभावी साबित हुआ।
तानाशाही और भ्रष्टाचार के आरोप
पूजा चौकसे पर यह भी आरोप है कि वह तय करती हैं कि किसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और किसके खिलाफ नहीं। इस प्रक्रिया में पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से लेने के बजाय वह स्वयं न्यायाधीश की भूमिका निभाती हैं।
पत्रकारों पर झूठे मामले दर्ज कराने के आरोप
थाना प्रभारी के खिलाफ पत्रकारों ने भी आरोप लगाया है कि जब भी कोई उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाता है या उनके भ्रष्टाचार की खबर छापता है, तो उनके खिलाफ झूठे मामलों का पंजीकरण किया जाता है। यह प्रवृत्ति न केवल प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि आम जनता को न्याय से वंचित करने का भी उदाहरण है।
ग्रामीणों की नाराजगी और राजनीतिक उदासीनता
ग्रामीणों में थाना प्रभारी के खिलाफ गहरी नाराजगी देखी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, स्थानीय युवा जुआ और सट्टा जैसी अवैध गतिविधियों में फंसते जा रहे हैं, जिनके लिए थाना प्रभारी के कथित संरक्षण को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस पूरे प्रकरण में क्षेत्रीय नेताओं की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।
क्या होगी कार्रवाई?
थाना प्रभारी पर लगे गंभीर आरोपों के बीच अब यह देखना होगा कि पुलिस अधीक्षक सुनील मेहता इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। पीड़ितों को न्याय दिलाने और भ्रष्टाचार के इस गढ़ को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
यह घटनाक्रम मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह समय है कि न्यायपालिका और प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष और कठोर कदम उठाएं, ताकि जनता का विश्वास बरकरार रह सके।

