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सिवनी का कलबोड़ी बना जुए का गढ़: नेताओं की शह, पुलिस की चुप्पी, और लाखों की नाल पर फड़ का खेल
सिवनी का कलबोड़ी बना जुए का गढ़: नेताओं की शह, पुलिस की चुप्पी, और लाखों की नाल पर फड़ का खेल
सिवनी
सिवनी के कलबोड़ी क्षेत्र में वर्षों से फल-फूल रहा जुए का कुख्यात फड़ आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ा। संयुक्त पुलिस टीम की छापामार कार्रवाई ने न केवल इलाके में खलबली मचा दी, सूत्रों के अनुसार पुलिस और नेताओं की मिलीभगत की परतें भी उधेड़ दीं।

जुए के फड़ में तबाही का मंजर:
जैसे ही पुलिस की रेड की भनक लगी, दर्जनों की संख्या में जुआरी इधर-उधर भागने लगे। भगदड़ मची, लोग कुएं में कूदे, कुछ घायल हुए।
एक जुआरी भागते वक्त कुएं में गिर गया, जिसकी हड्डियां टूट गईं। अस्पताल में भर्ती है।
इधर पुलिसकर्मी भी घायलों को संभालने और जब्ती में उलझे रहे, जिससे मुख्य सरगना मौके से फरार हो गया।
पर्दे के पीछे का खेल
यह जुआ फड़ कोई आम अड्डा नहीं, बल्कि नेताओं की सरपरस्ती में पनप रहा संगठित अपराध केंद्र था।
- रोजाना 20 लाख रुपये से अधिक की नाल (उगाही) होती थी।
- नालकट, सुपारीबाज, बदमाश और छुटभैया नेता इसके संरक्षक बने हुए थे।
- खिलाड़ियों की एंट्री बालाघाट, नागपुर, भोपाल से होती थी।
चौकियों की भूमिका संदिग्ध:
सबसे गंभीर सवाल यह है कि इतने लंबे समय से चल रहे फड़ की भनक स्थानीय पुलिस को क्यों नहीं लगी?
बादलपार और गोपालगंज चौकी के प्रभारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।
सूत्र बताते हैं कि महीने का मोटा हिस्सा ‘सेटिंग’ के जरिए ऊपर तक पहुंचता था, ये मोटा हिस्सा लेने वाले कोन पुलिस पता कर ही लेगी। जुआरियों को आजादी देने वाला कोई वजनदार व्यक्ति होगा तभी यह सब कुछ खुलेआम चलता रहा।
कौन-कौन आया निशाने पर:
पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा की गई जुआ फड़ की कार्यवाही में पकड़े गए जुआरियो के नाम
- -विनायक पिता महेश माना ठाकुर उम्र 22 साल नि. रानी दुर्गावती वार्ड सिवनी
शाहिद पिता पीर खां उम्र 34 साल नि. जनता नगर कंटगी रोड सिवनी
संजय पिता वीरसिंह सनोडिया उम्र 22 साल नि. तिलक वार्ड सिवनी
04 दुर्गेश पिता रम्मुलाल नाविक उम्र 40 साल नि. गणेश चौक सिवनी
05 अंकित पिता शंकरलाल यादव उम्र 25 साल नि. खैरीटेक सिवनी
शेख कादिर पिता शेख मोवीन उम्र 22 साल नि. तिलक वार्ड सिवनी
नन्दकिशोर पिता बाबुलाल रैकवार उम्र 40 साल नि. रानी दुर्गावती वार्ड सिवनी
शाहरुख हुसैन पिता हैदर हुसैन उम्र 25 साल नि. घसियारी मोहल्ला सिवनी
असलम खान पिता मस्तान शाह उम्र 25 साल नि. पटेल टोला बरघाट
शाहिद पिता सरदार अहमद उम्र 35 साल नि. वार्ड नबर 03 बरघाट - प्रकरण में फरार आरोपियों
- (1)- शुभम चंदेल निवासी कलबोडी थाना कुरई सिवनी
(2) चांदी निवासी सब्जी मंडी के सामने नागपुर रोड सिवनी
(3)- तिलक उर्फ तिलकराज चंदेल निवासी कलबोडी थाना कुरई सिवनी
(4)-योगेश झा निवासी मंगली पेठ सिवनी उल्लेखनीय है कि योगेश झा, शुभम चंदेल, चांदी जुआ खेल खिलाने के आदी है जिन पर अन्य थानों में अपराध
पंजीबध्द है, जिनकी सरगमी से तलाश की जा रही है
अब सवाल जनता का:
- क्या बादशाह जैसे सरगना को भगाने में अंदरखाने का हाथ था?
- क्या नेताओं के नाम सार्वजनिक किए जाएंगे?
- और सबसे बड़ा सवाल – क्या यह कार्रवाई पहली और आखिरी बनकर रह जाएगी?
निष्कर्ष:
कलबोड़ी का जुआ फड़ सिर्फ एक अड्डा नहीं था, बल्कि सिस्टम की नाकामी का आइना था।
इस पुलिस रेड ने साबित कर दिया है कि अगर इच्छा शक्ति हो तो ‘जुआरियो’ की बादशाहत भी गिराई जा सकती है।
अब बारी सिस्टम की है – साफ करने की या फिर दोबारा गंदगी में डूबने की।
मध्य प्रदेश
सिवनी:वन निगम की जमीन का हुआ गलत नामांतरण, प्रशासन पर उठे सवाल
लाखों रुपये लेकर की गई शासकीय भूमि की नामांतरण की गड़बड़ी, वन निगम की जमीन का हुआ गलत नामांतरण
सिवनी
मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसमें मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम लिमिटेड की शासकीय भूमि को निजी कालोनी के प्लॉट के रूप में नामांतरण कर दिया गया। यह मामला सिवनी के ज्यारत नाका SBI कॉलोनी की भूमि खसरा नंबर 98/1 से जुड़ा हुआ है।

जानकारी के अनुसार, इस जमीन का नामांतरण स्टेट बैंक कॉलोनी के प्लॉट के रूप में कर दिया गया। इस जमीन पर कालोनी प्लॉट कर्ता अरुण श्रीवास्तव द्वारा प्लॉट काटे गए थे, जिसकी कीमत लगभग 2400 रुपए प्रति वर्गफीट बताई जाती है। उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि का नामांतरण पिछले 15 वर्षों से नहीं हुआ था, क्योंकि यह शासकीय भूमि थी।
03.01.11 को अरुण श्रीवास्तव के खिलाफ एक वाद न्यायालय में दर्ज किया गया था। इसके बाद 19.02.2015 को न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि विवादित भूमि 0.12 हेक्टेयर राज्य की भूमि है। हाई कोर्ट में इस पर SA 687/2015 क्रमांक से मामला दायर किया गया, जिसकी सुनवाई अभी जारी है।
इसके बावजूद, बिना न्यायालय के अंतिम निर्णय के 2023-24 में उक्त भूमि का नामांतरण कर दिया गया और प्लॉट बेच दिए गए। दस्तावेज़ों के अनुसार, नामांतरण आदेश क्रमांक 3245/31-6/2023-24 दिनांक 08/2/24 के माध्यम से यह कार्य हुआ।
सबसे गंभीर बात यह है कि बिना वन विभाग की अनुमति और हाई कोर्ट के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना, नामांतरण को लागू कर दिया गया, जिससे शासकीय भूमि को निजी हाथों में बेचे जाने का रास्ता साफ हुआ।
इस पूरे मामले में प्रशासन और वन विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या बिना अनुमति के सरकारी भूमि का नामांतरण करना वैध है? अब यह देखना होगा कि जिला प्रशासन और वन विभाग इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाई करते हैं।।
आगामी खबर पर जल्द होंगे खुलासे….