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सिवनी
तन के साथ मन को ठीक करना ही संपूर्ण स्वास्थ्य है : डीन डा परवेज सिद्दिकी
तन के साथ मन को ठीक करना ही संपूर्ण स्वास्थ्य है : डीन डा परवेज सिद्दिकी
आरोग्य श्रीग्राम में तीन दिवसीय जीवन विद्या शिविर का समापन
मेडीकल कालेज के डीन और पेंच नेशनल पार्क के सीसीएफ समेत सैंकडों लोग शामिल
सिवनी
हम सभी आजकल सिर्फ तन पर ध्यान देते हैं जबकि मन ही वह ड्राइवर है जो तन रूपी गाड़ी को चलाता है। इसलिए तन के उपचार के साथ-साथ मन का उपचार भी जरूरी है। यह कार्य आरोग्य श्रीग्राम संस्थान व्दारा जीवन विद्या शिविर के माध्यम से करना एक अनुकरणीय उदाहरण है। इस आशय की बात सिवनी मेडीकल कालेज के डीन डा परवेज सिद्दिकी ने आरोग्यश्री ग्राम में आयोजित तीन दिवसीय जीवन विद्या शिविर के समापन अवसर पर कही। कार्यक्रम में पेंच नेशनल पार्क के सीसीएफ देवाप्रसाद भी मौजूद थे। इन सभी अतिथियों को आरोग्य श्रीग्राम के संचालक व्दय डा गजेन्द्र डहरवाल और सुनील व्दिवेदी ने स्वागत-सम्मान किया।

तीन दिनी जीवन विद्या शिविर का आयोजन इंदौर की सुप्रसिद्ध संस्था मानव चेतना विकास केन्द्र और आरोग्यश्री ग्राम समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। इसमें पूर्व कृषि वैज्ञानिक और मध्यस्थ दर्शन के सुप्रसिद्ध अध्ययनकर्ता डा अभय वानखेड़े ने तीन दिन तक जीवन विद्या के बारे में बताया समझाया। इस शिविर में बताया गया कि किस तरह हम सिर्फ शरीर पर ही ध्यान केंद्रित करते रहते हैं जबकि शरीर को चलाने वाले मन के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते हैं। इसके चलते हम रोगी होते जाते हैं। डा वानखेड़े ने कहा कि इंदौर के पास कंपेल में करीब सवा सौ लोग एक परिवार की तरह रहकर इसी दर्शन के संविधान से चलते हैं और एक खुशमय व आत्मनिर्भर जीवन जी रहे हैं। इस शिविर के समापन अवसर पर उपस्थित सिवनी मेडीकल कालेज के डीन डा परवेज सिद्दिकी ने कहा कि चिकित्सा की सभी पैथियों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। हम सभी का उद्देश्य हर हाल में रोगी के तन-मन को ठीक करना है। डा सिध्दिकी ने आश्वासन दिया कि मेडीकल कालेज और आरोग्य श्रीग्राम संस्थान मिलकर इस दिशा में कार्य करेंगे। इस अवसर पर पेंच नेशनल पार्क के सीसीएफ देवीप्रसाद जी ने कहा कि जीवन विद्या शिविर से उन्हें काफी कुछ सीखने को मिला। वे कोशिश करेंगे कि तन-मन को स्वस्थ्य रखने की यह विधा उनके सहयोगियों तक भी पहुंचे और एक बेहतर समाज का निर्माण हम सभी मिलकर करें।
इस शिविर में भारत स्वाभिमान के प्रभारी नरेश मिश्रा, डा महेंद्र डहरवाल, अधिवक्ता प्रदीप पटेल, उमेश दुबे, मुकेश चौरसिया, अजय चौबे ,अनिकेत मानव भारत विकास परिषद के संरक्षक गणेश गुप्ता, अध्यक्ष सुबोध बाझल, कोषाध्यक्ष अंकित नाहर, आनंद विभाग से नैना वरकड़े आदि मौजूद थे। इस अवसर पर सभी अतिथियों ने पौधारोपण भी किया।
मध्य प्रदेश
छपारा में शिक्षा का मजाक, बिना मान्यता के चल रहा स्कूल, 300 बच्चों का भविष्य खतरे में
छपारा के मुख्यालय में शिक्षा का मजाक
बिना मान्यता के चल रहा ‘मां शारदा शिशु संस्कार विद्यालय’, सैकड़ों बच्चों का भविष्य संकट में
सिवनी / छपारा
जिले के छपारा में नगर के महावीर वार्ड अंतर्गत शीशगर वार्ड में स्थित ‘मां शारदा शिशु संस्कार विद्यालय’ बीते तीन महीनों से बिना किसी वैधानिक मान्यता के संचालित हो रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम की खुलेआम अवहेलना करते हुए यह विद्यालय 300 से अधिक बच्चों को शिक्षा देने का दावा कर रहा है, जबकि जिला शिक्षा केंद्र और बीआरसी कार्यालय की रिपोर्ट में विद्यालय को आवश्यक शैक्षणिक मानकों पर खरा नहीं पाया गया है।

तीन माह से विभाग बना मूकदर्शक
विद्यालय द्वारा सत्र 2025-26 के लिए नवीन मान्यता हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया था, परंतु निरीक्षण उपरांत बीआरसी कार्यालय छपारा ने विद्यालय को 14 बिंदुओं पर मान्यता नहीं देने की अनुशंसा जिला शिक्षा केंद्र को भेजी थी। इसके बाद परियोजना समन्वयक, जिला शिक्षा केंद्र द्वारा भी विद्यालय को मान्यता देने से स्पष्ट इनकार कर दिया गया। इसके बावजूद विद्यालय का संचालन धड़ल्ले से जारी है और जिम्मेदार अधिकारी तमाशबीन बने हुए हैं।
शिक्षा अधिनियम का खुला उल्लंघन
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 18 और उसके अधीन बने नियम 2011 की धारा 11(4) में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि यदि किसी विद्यालय में आवश्यक शैक्षणिक व भौतिक संसाधन उपलब्ध नहीं हैं तो उसे मान्यता नहीं दी जा सकती। बावजूद इसके, ‘मां शारदा शिशु संस्कार विद्यालय’ प्रबंधन द्वारा बिना मान्यता के शिक्षा सत्र का संचालन किया जा रहा है, जिससे बच्चों के भविष्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।
विभागीय आदेशों की भी अनदेखी
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा 17 जून 2025 को जारी आदेश (क्रमांक 388/मान्यता/2025) में यह निर्देशित किया गया था कि जिन विद्यालयों को मान्यता प्राप्त नहीं हुई है, वे अपने अध्ययनरत छात्रों की टीसी (स्थानांतरण प्रमाण पत्र) और दाखिल खारिज रजिस्टर नजदीकी संकुल केंद्र में जमा करें। लेकिन संबंधित विद्यालय ने इस आदेश की भी अवहेलना की और न सिर्फ टीसी जमा नहीं कराई, बल्कि अवैधानिक रूप से कक्षाएं भी चालू रखीं। इस लापरवाही का सीधा असर बच्चों की भविष्य की पढ़ाई और प्रवेश प्रक्रिया पर पड़ सकता है।
क्या प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा संचालन?
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह पूरा मामला छपारा जनपद मुख्यालय का है, जहां शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की सीधी निगरानी होती है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बिना मान्यता के चल रहे इस विद्यालय को किसी प्रकार का विभागीय संरक्षण प्राप्त है? या फिर प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही बच्चों के भविष्य के साथ जानबूझकर खिलवाड़ कर रही है?
स्थिति
-*- बिना मान्यता के तीन महीने से संचालित विद्यालय
-*- बीआरसी द्वारा 14 बिंदुओं पर दी गई आपत्ति
-*- जिला शिक्षा केंद्र द्वारा मान्यता अस्वीकृत
-*- विभागीय नोटिस के बाद भी जारी कक्षाएं
-*- 300 से अधिक छात्रों का भविष्य अंधकार की ओर
स्थानीय अभिभावकों में रोष
बच्चों के अभिभावकों और स्थानीय समाजसेवियों में इस मामले को लेकर भारी नाराजगी है। वे मांग कर रहे हैं कि संबंधित विद्यालय को तत्काल बंद किया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो। साथ ही बच्चों को निकटवर्ती मान्यता प्राप्त विद्यालयों में प्रवेश दिलाया जाए ताकि उनका शैक्षणिक सत्र बर्बाद न हो।