बैतूल

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक दुर्लभ नवरजात बच्चे ने जन्म लिया जिसको देख सब हैरत में आ गए । अगर देखने में जलपरी जैसे जुड़े पैरो वाले इस बच्चों बचाने में अस्पताल को समस्त स्टाफ जुट गया पर जलपरी जैसे जुड़ेपैरो वाले इस बच्चे ने महज जन्म के 10 घंटे के बाद साथ छोड़ दिया ।

मुख्य बिंदु:

1. दुर्लभ जन्म से मेडिकल स्टाफ में अचंभा:
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में एक दुर्लभ स्थिति में जन्मे नवजात ने सबको हैरत में डाल दिया। जलपरी जैसे जुड़े पैर वाले इस बच्चे ने जन्म के 10 घंटे बाद इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

2. मरमेड सिंड्रोम का मामला:

यह मामला मरमेड सिंड्रोम का है, जिसे साइरेनोमेलिया कहा जाता है।

इस दुर्लभ स्थिति में शिशु के दोनों पैर मछली के पिछले पंख जैसे आपस में जुड़े होते हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक, इस तरह के केस 1 लाख नवजातों में एक के साथ देखने को मिलते हैं।

3. मां और नवजात की स्थिति:

भैंसदेही ब्लॉक के खानापुर गांव की 19 वर्षीय महिला ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भैंसदेही में इस दुर्लभ बच्चे को जन्म दिया।

नवजात का वजन सामान्य से कम था और उसकी हालत गंभीर होने पर उसे बैतूल जिला अस्पताल रेफर किया गया।

डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को मेजर कंजेनाइटल मालफॉर्मेशन था, जिसमें उसके नीचे के अंग पूरी तरह से चिपके हुए थे।

4. लिंग पहचान में मुश्किल:
नवजात के शरीर की बनावट के कारण लिंग की पहचान (सेक्स डिटरमिनेशन) भी संभव नहीं हो सकी। इसके अलावा, बच्चे के अंदरूनी अंग भी ठीक से विकसित नहीं थे।

5. अत्यंत गंभीर हार्ट और सांस की समस्या:

नवजात को सांस लेने में तकलीफ और हृदय रोग था।

जन्म के करीब 10 घंटे बाद इलाज के दौरान नवजात ने दम तोड़ दिया।

6. पहली डिलीवरी का असर:

महिला की यह पहली डिलीवरी थी और उसकी उम्र महज 19 वर्ष है।

फिलहाल जच्चा की हालत सामान्य है और उसे भी जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

डॉक्टरों की टिप्पणी:

चिकित्सकों के अनुसार, मरमेड सिंड्रोम एक दुर्लभ जन्मजात विकृति है, जो ज्यादातर गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी या अनियमित विकास के कारण होती है।

विशेष जानकारी:

यह मामला न केवल मेडिकल स्टाफ के लिए एक चुनौती बना बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी चर्चा का विषय बन गया।

ऐसे मामलों में बच्चों के जिंदा रहने की संभावना बेहद कम होती है।

निष्कर्ष:

बैतूल में हुई इस दुर्लभ घटना ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। हालांकि, जच्चा की हालत सामान्य है लेकिन यह मामला गर्भावस्था में समय पर जांच और देखभाल के महत्व को रेखांकित करता है।

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