दिल्ली
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किसान आंदोलन को सही ठहराते हुए केंद्र सरकार को आंदोलन की चेतावनी दी है और कहां की अगर कैंसर केंद्र ने किसानों के मुद्दों से संबंधित उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया तो वह जनवरी में नई दिल्ली में आंदोलन शुरू करेंगे और अगले महीने दिल्ली में अपना विरोध प्रदर्शन फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है और इस बारे में सरकार को भी सूचित कर दिया गया है अन्ना हजारे ने कहा कि वह किसानों के लिए पिछले 3 साल से प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार ने इन मुद्दों के समाधान के लिए कोई कदम नहीं उठाया उन्होंने कहा किसानों से संबंधित विभिन्न मांगों को लेकर में पहली बार 21 मार्च 2018 को दिल्ली के रामलीला मैदान में भूख हड़ताल पर बैठा था ।।
अन्ना हजारे ने कहा कि 2018 की भूख हड़ताल पर जब मैं बैठा था उसके साथ में दिन तत्कालीन कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फर्नांडिस उससे मिलने आए उस समय उन्होंने मांगों को स्वीकार करते हुए लिखित आश्वासन दिया था लेकिन वह कभी पूरे नहीं किए गए हजारे जी ने बताया कि मैंने एक बार फिर से विरोध प्रदर्शन दिल्ली में जनवरी से शुरू करने का फैसला लिया है जो पिछले 3 साल से चल रहा है तथा इस संबंध में एक पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है उन्होंने कहा कि ठोस निर्णय लें या मैं अपने फैसले दृढ़ हूं।।
हजारे ने बताया कि केंद्र सरकार केवल खोखले वादे करती है इसलिए मुझे मोदी सरकार पर विश्वास नहीं है केंद्र मेरी मांगों पर क्या कदम उठाती है उन्होंने 1 महीने का समय मांगा है और मैंने जनवरी अंत तक का समय दिया है मगर मेरी मांगे पूरी नहीं हुई मैं फिर भूख हड़ताल करूंगा यह मेरा आखरी दर्शन होगा अन्ना हजारे ने 14 दिसंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर चेतावनी दी थी कि एम एस स्वामीनाथन समिति की अनुशंसा को लागू करने और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की स्वायत्तता प्रदान करने संबंधी उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो वह भूख हड़ताल करेंगे ।।
सूत्रों की मानें तो भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं महाराज विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष हरिभाऊ बांगड़ी ने हाल ही में अन्ना हजारे से मुलाकात की थी और केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानून के बारे में उनको अवगत कराया था गया था अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर 8 दिसंबर को किसान संगठनों के भारत बंद के फैसले का समर्थन कर उपवास रखा था