सिवनी में “माननीय का विशेष आशीर्वाद” और प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल
सिवनी मुख्यालय में राजस्व विभाग के भीतर एक असामान्य स्थिति बनी हुई है। राजस्व निरीक्षक रतन शाह उइके पिछले 15 वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं। सरकारी नियमों के अनुसार, एक कर्मचारी का स्थानांतरण हर 3-5 वर्षों में किया जाना चाहिए, ताकि प्रशासनिक निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यहां नियमों से अधिक “विशेष आशीर्वाद” का प्रभाव है।
स्थानांतरण नीति की अनदेखी
रतन शाह उइके अकेले ऐसे अधिकारी नहीं हैं, जिनका मामला चर्चा में है। दिनेश पटले का भी पिछले साल स्थानांतरण हुआ था, लेकिन इसे “ऊपर से दखल” के कारण रोक दिया गया। यह प्रशासनिक प्रणाली में अनुचित राजनीतिक हस्तक्षेप को उजागर करता है।
पटवारियों की स्थिरता और भ्रष्टाचार की संभावना
यह केवल निरीक्षक तक सीमित नहीं है। स्थानीय लोगों का दावा है कि कई पटवारी वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ हैं। लंबे समय तक एक ही स्थान पर रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए अपने पद का दुरुपयोग करना आसान हो जाता है। इससे न केवल प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि भ्रष्टाचार की संभावना भी बढ़ जाती है।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि ऐसे अधिकारी जनता से जुड़े मामलों में अपने प्रभाव का गलत उपयोग कर रहे हैं। इसमें भूमि विवाद, नक्शे और राजस्व संबंधी कार्यों में पक्षपात जैसी शिकायतें शामिल हैं।
“माननीय का आशीर्वाद” की चर्चा
सिवनी में चर्चा है कि कुछ कर्मचारियों को माननीय नेताओं का विशेष संरक्षण प्राप्त है। यह संरक्षण उन्हें स्थानांतरण और अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचाने में मदद करता है। इस विशेष आशीर्वाद के चलते न केवल सरकारी नियमों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि पारदर्शिता भी खत्म हो रही है।
प्रशासनिक प्रणाली पर असर
प्रशासनिक व्यवस्था में इस तरह के हस्तक्षेप से:
- सरकारी कामकाज में पक्षपात बढ़ता है।
- जनता का प्रशासनिक प्रणाली से विश्वास कम होता है।
- ईमानदार और मेहनती अधिकारियों का मनोबल गिरता है।
आगे की राह
स्थानांतरण प्रक्रिया का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन कर इन मामलों की जांच होनी चाहिए।
राजस्व विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रणाली का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
सिवनी मुख्यालय में “माननीय का विशेष आशीर्वाद” एक प्रशासनिक समस्या का रूप ले चुका है। वर्षों से एक ही स्थान पर पदस्थ अधिकारी और कर्मचारियों की स्थिरता से प्रशासनिक निष्पक्षता खतरे में पड़ गई है। यदि समय रहते इन मामलों को सुलझाया नहीं गया, तो यह प्रशासनिक भ्रष्टाचार का बड़ा उदाहरण बन सकता है।