सिवनी 6 जुलाई 2024 – जगन्नाथ के भात को, जगत पसारे हाथ, श्री भगवान जगन्नाथजी की रथ यात्रा दिनांक 7 जुलाई, दिन रविवार शाम 4 बजे सुभाष वार्ड स्थित जगन्नाथजी के मंदिर से मुख्य मार्ग होते हुए लखनवाड़ा स्थित मां बैनगंगा नदी पहुंचेगी। मंदिर में प्रातः से ही पूजन अर्चन, अभिषेक किया जाएगा तदुपरांत भात का प्रसाद वितरण होगा। तीन रथों में अलग-अलग भगवान जगन्नाथ जी के साथ में उनकी बहन मां सुभद्रा जी,भाई बलभद्र जी तथा साथ में सुदर्शन चक्र रथ यात्रा में शामिल रहेंगे। ज्ञात हो की जगन्नाथ जी की रथ यात्रा आषाढ़ मास के दूज के दिन जैसे जगन्नाथ पुरी में निकाली जाती है वैसे ही एक मात्र सिवनी जिले के नगर के सुभाष वार्ड स्थित जगन्नाथ मंदिर से रथ यात्रा निकलती है।

मंदिर का इतिहास के बारे में सुनील राव पवार जगन्नाथ मंदिर के प्रबंधक ने जानकारी देते हुए बताया कि यह मंदिर उनके निजी स्वामित्व का है। उनके पूर्वज स्वर्गीय सेठ भोपत राव जी ने वर्ष 1871 में बनवाया था। तभी से पीढ़ी दर पीढ़ी यह प्रथा चली आ रही है। इस मंदिर के लिए अन्य बाहर से कोई दान स्वरूप सहयोग राशि नहीं ली जाती। वर्षों पूर्व से ही शोभायात्रा निकलते चली आ रही है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि जगन्नाथ जी की रथ यात्रा मंदिर से होते हुए चित्रगुप्त मंदिर,बाल हनुमान मंदिर, सुभाष पुतला सुनारी मोहल्ला नेहरू रोड शुक्रवारी राम मंदिर, काली चौक, विंध्यवासिनी चौक, बसोड़ी मोहल्ला, गणेश चौक, बड़े जैन मंदिर के सामने से होते हुए नेहरू रोड शुक्रवारी से दुर्गा चौक, बुधवारी बाजार होते हुए शंकर मढ़ीया, गजानन चौक से रेलवे क्रॉसिंग स्थित शनि मंदिर होते हुए वैनगंगा नदी पहुंचेगी। वैनगंगा नदी में पूजन अर्चन उपरांत वापस जगन्नाथ मंदिर पहुंचेगी। दूसरे दिन दिनांक 8 जुलाई दिन सोमवार को विशाल महाप्रसाद भंडारे का आयोजन किया गया है। भगवान श्री जगन्नाथ जी कहते हैं, मुझे याद रखो मैं तुम्हारे पास हूं भगवान श्री जगन्नाथ लीला पुरुषोत्तम राधा माधव श्री कृष्ण – वे स्वयं नारायण नृसिंह महाविष्णु, श्री राम के सत्य स्वरुप है। जबकि बलभद्र जी आशुतोष महाकाल शिव के स्वरुप है। इन दोनों महाशक्तियों के बीच में सुभद्रा मैया विश्व ब्रह्मान्ड की समन्वय शक्ति के रुप में खडी है जो जीव व ब्रह्म को भाई बहन के पवित्र रिश्तों में बांधती है तथा जीव को ब्रह्म से मिलाने में सहायक है। रात्रि के घोर अंधकार में आठ चन्डियां नित्य भगवान श्री जगन्नाथ श्री कृष्ण के दर्शन हेतु आती है। ये आठ देवी शक्तियां है- देवी मंगला, काली, भगवती, वर्तिका, सारता, हरचन्डी, आलाम चन्डी और तारणी।

       योगेश्वर भगवान जगन्नाथ श्री कृष्ण कहते हैं संसार का कार्य करते चलो परंतु किसी भी कर्म में मुझे न भूलो फिर मैं तुम्हे कैसे भूल सकूंगा। यदि मृत्यु भी तुम्हारे सन्मुख आयेगी तो उसमें भी मुझे ही देखोगे। मारक रुप में नहीं, वरण तारण रुप में आऊंगा, तुम्हे लेने के लिये। मुझे याद रखो मैं तुम्हारे पास हूँ। मेरा नियम है कि जो मेरा ध्यान करता है मैं भी उसी का ध्यान करता हूँ। जगन्नाथ मंदिरजी के प्रबंधक सुनील राव पवार ने सभी नगरवासी श्रद्धालुओं से निवेदन किया है कि जगन्नाथ जी की रथ यात्रा में अधिक से अधिक संख्या में सह-परिवार पधार कर पुण्य लाभ अर्जित करें। तथा शोभा यात्रा को सफल बनाएं एवं महाप्रसाद ग्रहण करें।।

रिपोर्ट – जर्नलिस्ट जितेन्द्र सिंह

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