पीपल की छाया में अध्यापन कर रहे बच्चों में उत्साह

सिवनी

मनुष्य जन्म से नही कर्म से महान होता है,जन्म किस कुल में हुआ है यह इतना महत्वपूर्ण नही है,जितना यह कि हमारा कर्म किस कुल का है। जन्म से कहीं कोई भेद नही होता,जो भेद होते है, वे सब जातिगत है। जाति मात्र हमारी पहचान के लिए है,ना कि जीवन के निर्धारण के लिए हाल ही में कोरोनाकाल ने सभी भेदों को मिटा दिया। ऐसा ही कुछ सोच रखने वाले शासकीय माध्यमिक शाला कमकासुर के प्रधानपाठक पंकज सिरसाम ने बताया कि वैसे तो प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला लगाने को लेकर विभाग ने कोई आदेश नही दिये है। लेकिन घर-घर कक्षा को लेकर जो प्रयास किये जा रहे है,उसको लेकर हमारी शाला में नया प्रयोग करने का प्रयास किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि इस शाला में प्रधानपाठक के रूप में वैसे तो भगवत सनोडिय़ा पदस्थ है,लेकिन इनके अतिरिक्त श्रीमती सरोज सनोडिया, गीता सनोडिया,हरिसिंह बघेल,रोहित बघेल मिलकर कक्षा पहली से 8वीं तक 118 बच्चों को पीपल के वृक्ष के नीचे बिठाकर अध्यापन कार्य करा रहे है। इस तरह अध्यापन को देखकर लोगों को आश्चर्य होता है। लेकिन देखा गया कि लगातार बढ़ रही गर्मी के चलते कक्षाओं में पंखे के अभाव के कारण बच्चों को खुले में अध्यापन कार्य करने में आनंद की अनुभूति हो रही है।

स्टॉफ सक्रियता से जुटा है अध्यापन कार्य में-

गौरतलब है कि ग्राम कमकासुर में लगभग 100 वर्ष से शाला संचालित की जा रही है। पुराना भवन के स्थान पर अब नया भवन बन गया है। और शाला का स्टाफ पूरी लगन के साथ अध्यापन कार्य में जुटा हुआ है। सरोज सनोडिय़ा ने बताया कि कोरोनाकाल में बच्चों का पढ़ाई के प्रति रूझान कम हुआ है। हम लोग लगातार शाला के निकट खुले में शाला लगाकर उन्हें मूलधारा से जोडऩे का प्रयास कर रहे है।

मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग का हो रहा पालन-

अक्सर देखा जाता है कि घर-घर जाकर अध्यापन कार्य कराना संभव नही होता,ऐसी स्थिति में बच्चों को मास्क लगाकर खुले मैदान में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए यह कार्य कराया जा रहा है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल सिंह बघेल,जिला जनशिक्षा केन्द्र प्रभारी जगदीश इड़पाचे,महेश गौतम,विपनेश जैन,पीयूष जैन सहित सभी का भरपूर सहयोग मिल रहा है।

गणमान्यजनों का मिल रहा मार्गदर्शन-

इन शालाओं के कारण अब बच्चे इस बात की प्रतिक्षा में भी है कि जैसे ही शासन स्कूल प्रारंभ करने की घोषणा करेगा,यह बच्चे नियमित रूप से शाला में आकर अपना शेष कार्य पूर्ण करेंगे। साथ ही इन बच्चों को यह भी उम्मीद है कि शासन उन्हें परीक्षा में शामिल करे,और उनका अध्यापन कार्य जारी रखे। इस कार्य में गांव के सरपंच-सचिव एवं गणमान्यजनों का निरंतर मार्गदर्शन मिल रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *